सामाजिक बनें, और दूसरों की समस्याओं को हल्के में न लें। Moral Story

एक चूहा कसाई के घर में एक छोटा-सा बिल बनाकर रहता था।
एक दिन उसने देखा कि कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा, शायद खाने का सामान होगा। लेकिन जब उसने ध्यान से देखा, तो पाया कि वह एक चूहेदानी थी।

चूहा खतरे को भांप गया और तुरंत पिछवाड़े में जाकर कबूतर को बताया, “घर में चूहेदानी आ गई है।”
कबूतर ने मजाक उड़ाते हुए कहा, “मुझे क्या? मैं तो इसमें फंसने वाला नहीं हूं।”

निराश चूहा यह बात मुर्गे को बताने गया।
मुर्गे ने हंसते हुए कहा, “भाई, ये तुम्हारी समस्या है, मेरी नहीं।”

हताश होकर चूहे ने बाड़े में जाकर बकरे को यह बात बताई।
बकरा हंसते-हंसते बोला, “मुझे इसमें क्या खतरा है? मैं क्यों फिक्र करूं?”

उसी रात, चूहेदानी में खटाक की आवाज़ आई। उसमें एक ज़हरीला साँप फंस गया था।
अंधेरे में, कसाई की पत्नी ने सांप की पूंछ को चूहा समझकर निकालने की कोशिश की, लेकिन सांप ने उसे काट लिया।

कसाई ने तुरंत हकीम को बुलवाया।
हकीम ने सलाह दी कि मरीज को कबूतर का सूप पिलाया जाए।
अब वह कबूतर, जो अपनी बेफिक्री पर हंस रहा था, पतीले में उबल रहा था।

इस घटना की खबर सुनकर, कसाई के कई रिश्तेदार उसे देखने पहुंचे।
उनके भोजन का प्रबंध करने के लिए अगले दिन मुर्गे को काट दिया गया।

कुछ दिनों बाद, कसाई की पत्नी ठीक हो गई। खुशी में, कसाई ने अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत का आयोजन किया।
इस बार बकरा काटा गया।

चूहा अब बहुत दूर जा चुका था…

सीख:

जब कोई अपनी समस्या आपके साथ साझा करे और आपको लगे कि यह आपकी समस्या नहीं है, तो थोड़ा रुककर सोचें।
हर समस्या अप्रत्यक्ष रूप से आप पर भी असर डाल सकती है। सामाजिक बनें, और दूसरों की समस्याओं को हल्के में न लें।

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